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Dhananjay Kumar

Classics Fantasy

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Dhananjay Kumar

Classics Fantasy

एक चेहरे पर कई मुखोटे हैं

एक चेहरे पर कई मुखोटे हैं

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एक चेहरे पर कई मुखोटे हैं

उस मुखोटे से उनकी जिंदगी

हर मुखोटे पर एक नया किरदार है

हर एक किरदार एक झूठ है

उस झूठ से उनकी जिंदगी 


मन उसका रोने का करता है

पर मुखोटे के साथ हंस देता

हर दिन वह मुखौटा बदलता 

हर दुख अपने अंदर छुपा कर रखता है 


अपनी असली जिंदगी से डरता 

इसलिए झूठ मैं रहता है 

सच से मुंह मोड़ रखा है

झूठ से दिल जोड़ रखा है।


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