एक बेवफा से मोहब्बत
एक बेवफा से मोहब्बत
एक बेवफा से
वह मोहब्बत निभा रहा है
बहुत ही वफा से
पानी पी रहा है और
नशा हो रहा है उसे
शराब का
जहर पी रहा
भर भर कर घूंट
अमृत समझ के
नाच रहा है
उसके इशारों पर
पैसा लुटा रहा है उस पर और
उसके लिए ही हर समय
तमाशा कर रहा है
मोहब्बत की किताब में
मोहब्बत की कोई कहानी नहीं
मोहब्बत भरी है इस
पिटारे में
यह झूठ बोल बोलकर
सच की गर्दन मरोड़ रहा है
उसके झुकने की कोई सीमा नहीं है
उसकी गुलामी की कोई जंजीर नहीं है
वह हां में हां मिलाता है
न करना तो उसे आता ही नहीं
पता नहीं कोई जादू है या
कोई मजबूरी
मोहब्बत एक तरफा है और
यह कुछ और नहीं
महज एक भ्रम है
इस मोम की गुड़िया में
कोई गुण नहीं
यह मिट्टी भी नहीं
वह भी उपजाऊ होती है पर
यह तो बंजर है
किसी को हंसाती भी नहीं
बस रुलाती है
एक कागज है
जिसकी लंबाई नापना मुश्किल
जो खुद भी जल रहा है और
दूसरों के जीवन में भी आग
लगा रहा है लेकिन
बस एक प्यार करने वाले के
दिल में
बहारों के फूल खिला रहा है
कैसा है यह प्यार करने
वाला
न जाने कैसा इसका प्यार
है या
फिर यह अज्ञानी है
और इसे मोहब्बत होती है
क्या
वफा होती है क्या
संजीदगी होती है क्या
इसका एक अक्षर का न ज्ञान है।