एक अजनबी
एक अजनबी
एक अजनबी
ना जाने कब एक अजनबी पे एतबार हो जाता है।
ना जाने कब एक अजनबी यार हो जाता है।
मिलते तो है लोग कितने इस भीड़ भरी दुनिया में।
ना जाने क्यूं एक शक्श दिल के पास हो जाता है।
जिसके साथ हम हर ग़म भूल जाते हैं।
जिसके साथ हम कूल के मुस्कुराते हैं।
ना जाने क्यूं उसको हर ज़ख्म बताते हैं।
ना जाने क्यूं उसको हम चाहते हैं।
ना जाने कब वो हमारी जिंदगी के एक हिस्से से
है जिंदगी बन जाता है।
ना जाने कब एक अजनबी यार हो जाता है।
