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Meenu Goyal chaudhary

Abstract

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Meenu Goyal chaudhary

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"एहसान"

"एहसान"

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कुछ एहसान उतारे नहीं जाते,

 जिंदगी बीत जाती है पर वो वही रहते हैं।

 मां के जन्म देने का एहसान ,

बहन के धागे का एहसान,

 भाई के बस होने का एहसान,

 दोस्त के साथ देने का एहसान,

 कुछ एहसान उतारे नहीं जाते , 

बस रह जाते हैं।

 कुछ एहसान बिना रिश्तो के भी होते हैं,

 कभी राह में चलते गिर जाएं तो उठाने वाले का एहसान ,

कभी काम में गलती हो तो प्यार से सिर सहला देने वाले का एहसान,

 कभी बस रोने का मन हो तो सुनने वाले का एहसान,

 कुछ एहसान उतारे नहीं जाते ,

बस रह जाते हैं।

जाने अनजाने यूं ही चेहरे को सहला देने वाली हवा का एहसान,

 तन मन को नई ऊर्जा से भर देने वाले बहते झरने का एहसान,

 उन बारिश की बूंदों का एहसान जो दुख में रोती हैं और सुख में छम छम आती हैं,

 उस पहाड़ का एहसान जो सिखा जाता है मजबूती का सबक,

 कुछ एहसान उतारे नहीं जाते

 बस रह जाते हैं।

 फिर आता है अटल सच का एहसान,

 मौत का,

 और सबसे बड़ा एहसान उस कंधा देने वाले का।।

 कुछ एहसान उतारे नहीं जाते 

बस रह जाते हैं।।



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