हाय मेरा इंडिया !
हाय मेरा इंडिया !
हुआ अर्ध शतक पूर्ण,
आज़ाद हुआ जब अपना वतन,
पर हुआ ना अब तक हिंदुस्तान
धन्य हो है इंडिया l
हिंदी है, हम वतन है
दुनिया के माथे की बिंदिया
वाह रे मेरा इंडिया।
हुआ इंडिपेंडेंट पर नहीं अभी स्वतंत्र हुआ,
भाई, ये है मेरा इंडिया।
चर्चा में है भारत का पचासवां इंडिपेंडेंस डे,
भारत ! यानी , इंडिया ना ?
पूछ रहा बालक प्रश्न,
हां बेटा, वहीं ,इंडिया।
वो गए पर वो जाके भी यहीं रहे,
हिन्दुस्तानी हो रहे इंडियन,
आई लव माई इंडिया।
हिन्दू क्यूँ कहे आदाब अर्ज़,
क्यूँ मुस्लिम करे प्रणाम,
पर फख्र से दोनों करें
गुड मॉर्निंग, इवनिंग सुबह - ओ - शाम ,
हाय रे मेरा इंडिया।
तरस गया है मन
कब होगा मेरा भारत स्वतंत्र
इस दोगले विदेशीपन से ?
कब मनाएंगे हम पहली वर्षगांठ
जब होगा ये इंडिया
हमारा प्यारा हिंदुस्तान !
गूंजेंगे दुनिया में यही स्वर ..
मेरा, हमारा ' भारत ' महान ।।
ये कविता १९९७ में लिखी थी, जब कॉलेज में पढ़ते थे, इसीलिए ५० बरस की स्वतंत्रता के बारे में बात की है।
आज के परिप्रेक्ष्य में जब एक ही भारत नाम रखने की बात चली तो सोचा क्यूँ ना इस विषय पर ही बात करी जाय।