"दुविधा"
"दुविधा"
मन से, मन के अंदर के, मन को टटोल कर देखो,
सारी दुविधा दूर कर, फ़ासले मिटा कर तो देखो।
बारिश के सैलाब में गिले शिकवे, मिट जाएगें,
एक कतरा ही सही आँख में पानी,भर के देखो।
रिश्तों केभरे बाज़ार में, खुशी गम का व्यापार करो,
झोलीभरी मिलेगी,गम के खरीदार बनकर तो देखो।
सबके चेहरे की तृप्ति साफ़ साफ़ दिखाई देनेलगेगी,
भावना के जल से भरे कलश को, छलकाकर देखो।
प्यास समंदर की नहीं, कुएँ की मीठास की रहती है,
शब्दों के मीठेपन से अगवानी, कर के तो देख़ो।