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संजय सिंह fakirpura

Comedy Romance Tragedy

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संजय सिंह fakirpura

Comedy Romance Tragedy

दूरियां

दूरियां

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दूरियों का दायरा बढ़ा है इस कदर देखो

आदमी से आदमी बढ़ाने लगा दूरियां

तन होते दूर तो फर्क कोई पड़ता ना

अब हर मन में समाने लगी दूरियां


सामाजिक रिश्ते में खटास देखो ऐसी आई

सामाजिक पहलुओं पर छाने लगी दूरियां

ज्यादा क्या बखान करूं दूरियों से दुर्गति का

खून के रिश्तो में भी समाने लगी दूरियां


दूरियों की मार परिवार को बिखेरती है

आपस में भाइयों को लड़ा देती है दूरियां

खून का है रिश्ता बड़े नाज से था पाला जिसे

फिर भी मां-बाप को रुला देती है दूरियां


और कितने उदाहरण ढूंढ के में लाऊं

पति- पत्नी को भी जला देती है दूरियां

 माता-पिता, भाई-बहन और सगे संबंधी को

बदले की ज्वाला में जला देती है दूरियां


दूरियों के दरिया में दर्द बड़ा गहरा भरा

अभी तो दरिंदों को दया ना कभी आती है

जाति, वंश धर्म कि परंपरागत दूरियां ही

इंसानों से इंसानों का कत्ल करवाती है


दूरियों के साए में विधाता भी समा गया है

 दूरियों की दास्तान कराये बर्बादी है

दूरियों के मंजर का साया ऐसा छाया देखो

 पास रहकर भी तो इंसान दूरियों का आदी है


दूरियां अगर नहीं होती परिवार में तो,

आपस में हम भाई बंधुओं को लड़ाता कौन

दूरियां ना होती संसार रूपी देशों में तो,

बॉर्डर पर सैनिकों को बेवजह मरवाता कौन


दूरियों की दर दर्दनाक दिल दहलाती है,

वरना यहां गम को कलेजे से लगाता कौन

दूरियों के सिलसिले की दुनिया दीवानी हुई,

दूरियां ना होती तो यह कविता लिखवाता कौन।


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