दुर्गा
दुर्गा
दुर्गा तेरी महिमा अपार, करूँ नमन मैं बारंबार।
दुर्गतिनाशिनी दुर्गे माँ ! करूँ नमन मैं बारंबार ।।
जग जाने है तेरी माया, तूने सारा जगत बचाया।
रक्षा करना तुम हर बार, करूँ नमन मैं बारंबार।
दुर्गा तेरी महिमा अपार.........
आपद सारी हरती माते !, सुख से झोली भरती माते !
भरना माते ! नित भंडार, करूँ नमन मैं बारंबार।
दुर्गा तेरी महिमा अपार .............
कारज पूरण तुम नित करती, बाधाएँ सब तुम हो हरती।
बेड़ा मेरा कर लो पार, करूँ नमन मैं बारंबार ।
दुर्गा तेरी महिमा अपार ...........
ज्ञान प्रभा माँ ! तुम फैलाती, नर उर में तुम दीप जलाती।
दूर करो माँ ! सब अँधियार, करूँ नमन मैं बारंबार।
दुर्गा तेरी महिमा अपार ..........
दुर्गम दैत्य सँहार किया है, देवों को उपहार दिया है।
दे दो माते ! दया उपहार, करूँ नमन मैं बारंबार।
दुर्गा तेरी महिमा अपार .............