दुनिया
दुनिया
जानी है जान एक दिन यह जानतें हैं लोग
खानी है मात एक दिन यह जानते हैं लोग
राहें अलग हो लेकिन मंजिल तो एक है
जाना वहीं है आखिर यह जानते है लोग
है अगर यह सच तो फिर क्यों नहीं मानते हैं लोग
क्या साथ आया था जो साथ जायेगा
फिर भी रोज क्यों भागते हैं लोग
इंसान है अगर तो इंसानियत भी हो
राहें खुदा में फिर क्यों मरते - मारते हैं लोग
तारीख गवाँ है यारो एक हिटलर भी हो गया
गर्दिशे ज़माने मे सिकंदर भी खो गया
पाया न कुछ सुकून जुनूने इंतकाम में
क्या यह सब जानते नहीं हैं लोग
जुल्मों- सितम से फिर क्यों बाज आते नहीं है लोग
जन्नत अगर है सच तो जहन्नुम भी झूठ नहीं
फिर क्यों अज़ाब से कतराते नहीं है लोग
अल्लाह कि नेअमत है अगर यह ज़िन्दगी तो
ये इंसान, ये जानवर, ये परिंदे,ये पेड़ भी
हकदार है सभी अपनी हयात के
इस बात को अगर बस जान ले ये लोग
जन्नत यहीं जमीं पे देखेंगे हम लोग ।।