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Manju Saini

Inspirational

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Manju Saini

Inspirational

दस्तूर ए इश्क

दस्तूर ए इश्क

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ये दस्तूर ए इश्क…

तेरे मिलने का दस्तूर समझ नहीं आया 

मेरा था क्या कसूर मुझे समझ नहीं आया 

खता मेरी थी या गुनहगार थे तुम 

मुझे तुम्हारा ये अंदाज़ समझ नहीं आया 


ये दस्तूर ए इश्क…

झूठा था इश्क़ या थी कोई मजबूरी 

तेरे यूं चले जाने का राज समझ नहीं आया 

झूठी हकीक़त थी या बहाने थे तेरे सच्चे 

तेरा ये दोहरा मिजाज़ समझ नहीं आया


ये दस्तूर ए इश्क…

तेरे दो चेहरे थे ये समझ ही नहीं आया

सही कहते थे हमदर्द गलत रोग तूने लगाया

निगाहें समझ न पाई रंग बदलते तुझे पाया

बहाने थे मुझको छोड़ने के बस समझ न आया।


ये दस्तूर ए इश्क…


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