अटल
अटल
शोक की हवा कैसी? हाय! आज चल पड़ी,
चक्षु- चक्षु के पोर से,अश्रुधारा है निकल पड़ी,
व्योम भी दुखी हुआ,धरा भी आज रो पड़ी,
निज के सपूत को,माँ भारती है खो खड़ी,
हिंद में प्रलाप है,हर आँख आज है विकल,
तुम कहाँ चले गये "अटल"...तुम कहाँ चले गये "अटल"?
हाय! हाय! हो रहा,चहुओर विलाप है,
मन हो रहा अस्थिर,दिलों में संताप है,
श्वास है उखड़ रही,हृदय में आज खाप है,
याद तेरी शेष है,स्मृति में तेरी छाप है,
मंच आज रिक्त है,सूना पड़ा है पटल,
तुम कहाँ चले गये "अटल"...तुम कहाँ चले गये "अटल"?