दृढ़ निश्चय
दृढ़ निश्चय
निश्चय अपना तू दृढ़ कर
हौसला तू हिमालय कर
उड़ चल नभ से भी ऊपर,
आसमाँ से ऊंचा कद कर।
हार का कोई भय न कर
कर्म में तू आग पैदा कर
निश्चय ही जीत तेरी होगी,
आंसुओ को तू शोला कर।
हंस रहा ज़माना तुझ पर
ताने दे रहा जिंदगी भर
तू मिटा मन का अंधेरा,
बन जा साखी दिनकर।
निश्चय अपना तू दृढ़ कर
मंजिल पे अविराम पग धर
मत रुक,मत विश्राम कर
लक्ष्य के लिये हरपल मर।
थकना नही,रोना नही,
अपनी सोच तू बदल
पैदल चल,जरूर चल
हिम्मत को कर अनल।
ख्वाबो में भी तू कभी
लक्ष्य मत कर ओझल
निश्चय अपना तू दृढ़ कर
इतिहास का हो सुदृढ नर।
