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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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दर्द

दर्द

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कितना ये दर्द मुझे तू तड़पायेगा

कितना तू दिल से लहू बहाएग

एक दिन तुझे दर्द हारना ही होगा

कितना तू साखी से टकरायेगा

टूटना दर्द तेरे नसीब में लिखा है

ये साखी तो पत्थर का बना है,

जितना तू मुझसे मिलने आयेगा

उतनी बार चकनाचूर होकर जायेगा



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