दर्द या डर
दर्द या डर
डर है कि मैं कही खो ना जाऊँ
डर है कि मैं कही खो ना जाऊँ,
दर्द है कि मैं कही आप सबसे दूर ना हो जाऊं
बड़ी कशमकश सी होगयी अचानक जिंदगी
बन्द हूं कैद हूं आज अपने ही पिंजड़े के किसी कोने में
हंस रही हूं
हंस रही हूं तोते के पिंजड़े को देखकर
ए साथी बड़ी बखूबी से अहसास दिला
दिया तुमने कैद होने कि
कल तक जो उड़ रही थी वो कैद हो गयी
वो चुलबुली सी लडक़ी कोरोना
के गिरफ्त में कैद हो गयी
डर है कि मैं कही खो ना जाऊं
दर्द है कि मैं कहींआप सबसे दूर न हों जाऊँ !