STORYMIRROR

Akanksha Srivastava

Inspirational

4.2  

Akanksha Srivastava

Inspirational

दर्द या डर

दर्द या डर

1 min
253


डर है कि मैं कही खो ना जाऊँ

डर है कि मैं कही खो ना जाऊँ,

दर्द है कि मैं कही आप सबसे दूर ना हो जाऊं

बड़ी कशमकश सी होगयी अचानक जिंदगी


बन्द हूं कैद हूं आज अपने ही पिंजड़े के किसी कोने में

हंस रही हूं

हंस रही हूं तोते के पिंजड़े को देखकर

ए साथी बड़ी बखूबी से अहसास दिला

दिया तुमने कैद होने कि

कल तक जो उड़ रही थी वो कैद हो गयी 


वो चुलबुली सी लडक़ी कोरोना

के गिरफ्त में कैद हो गयी

डर है कि मैं कही खो ना जाऊं

दर्द है कि मैं कहींआप सबसे दूर न हों जाऊँ !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational