दर्द तुझे क्यूँ हुआ ?
दर्द तुझे क्यूँ हुआ ?
दर्द तुझे क्यूँ हुआ ?
क्या कुछ था वहाँ ?
कह तो देता एक बार ,
छोड़ देते ये जहाँ।
अब आँखें नम हुईं ,
सोच के कि तू जला ,
इश्क एक तरफा था अगर ,
तब भी तो ये मन मरा।
कभी लगता था तेरी बातों में ,
कहीं कुछ अरमान है ,
बस सुनने से डर लगता था ,
तेरा जो भी फरमान है।
सालों के साथ को ,
हम कैसे बदनाम कर देंगे ,
तूने कैसे ये सोच लिया ?
हम कत्ल~ए~आम कर देंगे।
जो चिंगारी दब रही ,
उसे यूँही दबा लेना ,
गर हवा उसे लग गई ,
तो हमे आँखों में बसा लेना।
उड़ने की चाह लिए ,
हम आज भी जमीं पर सोते हैं ,
तुम्हारे धड़कते दिल के लिए ,
ना जाने कितना रोते हैं।
अब फिर ना पूछना हमसे तुम ,
कि क्या ये हकीकत है या सज़ा ,
हम शब्दों में समझा ना सकेंगे ,
तुम अर्थों में समझ के लेना मजा।|