दर्द का शिलापट्ट
दर्द का शिलापट्ट
चारो तरफ सुरम्य वातावरण
दर्शनीय नजारे,
बीच में एक नयनाभिराम घर
घर पर दर्द का शिलापट्ट ।
कितना सुन्दर संयोग था
शिलापट्ट की परवाह किये बिना
घर के अंदर दाखिल हो गये
हम।
अंदर जो देखा
और अभी घूम घूम देख रहे हैं
सब कुछ अद्भुत है।
घर के बाहर भी तुम
मिला करते थे,
और अंदर तो तुम
मिल ही गये हो।
वो भी ऐसे जैसे
तुम, मैं।
दर्पण को क्या पडी़ है
तुमको मुझ सा दिखाने की,
पर दर्पण में मैं जब
खुद को देखता हूँ
दिखते हो तुम।
दर्द का शिलापट्ट लगे
घर के अंदर का
तमाशा है ये,
द्रष्टा और कर्ता
दोनो अदृश्य हो गये हैं
और दिख रहा है
दृश्य वो भी
चलता फिरता।
मैं भी सोच रहा हूँ
तुम्हारे घर का का
शिलापट्ट बदलने की।