दोस्ती यारी खुशनसीबी
दोस्ती यारी खुशनसीबी
बचपन की दोस्ती :
वो स्कूल साथ जाना,
वो एक दूसरे के साथ बैठना,
वो पहला अक्षर साथ लिखना,
बिना बात एक दूसरे को देख कर मुस्कुराना
वो एक ही टिफिन में से खाना खाना,
वो रबर पेंसिल एक दूसरे से बांटना,
शाम को घर जाकर अपने दोस्त को खेलने के लिए बुलाना,
किसी और से बात करने पर अपने दोस्त से कट्टी कर लेना,
और उसका चॉकलेट देते ही दोस्ती बोलकर हमारा मुस्कुरा देना,
दोस्त घर जाने के लिए रोए तो खुद भी रोने लग जाना,
अगले दिन दोस्त स्कूल ना आए तो उसे बिल्कुल याद ना करना,
नए दोस्त बनाना और वही पुरानी बातें करना,
यही तो होता है हमारी बचपन में दोस्ती का झरना।
जवानी वाली दोस्ती :
स्कूल ना जाने की इच्छा हो तो भी दोस्त के लिए पहुंच जाना,
टीचर को परेशान करने में एक दूसरे का पूरा साथ निभाना,
दोस्त का खूब मजाक बनाना पर जरूरत पड़ने पर
उसके पंगे को भी अपना बनाना,
कुछ करने से डर रहे हो तो दोस्त की हो जाएगा बे !!
सुनकर कर गुजर जाना,
छुट्टियों में भी दोस्तों के संग बाहर निकल ही जाना,
मम्मी जब दोस्तों को बुरा भला बोले तो" यार है मेरा "
कहकर उन्हें चुप कराना,
एक दूसरे को नाम के अलावा सब कहकर बुलाना,
हम बेज्जती कर सकते हैं किसी और ने
कर दी तो मुंह तोड़ आना,
अपनी डेट बर्थ डे और
हर जरूरी दिन पर दोस्त का हमसे ज्यादा उत्सुक हो जाना,
दोस्त को डांट से बचाने के लिए उसके घरवालों के सामने खुद ही बुरा बन जाना,
उसके क्रश के सामने बस यू ही अपने खिल्ली उड़ाना,
क्लास बंक करने के लिए दोस्त के संग टॉयलेट में ही वक्त बिताना,
एक टिफिन में कईयों के हाथ आना,
मारा पीटी, तोड़फोड़,
करने में कदम से कदम मिलाना,
ऐसे तो खूब पैसे उड़ाना पर
दोस्त के सामने बस कंजूसी दिखाना,
इच्छा ना होने के बाद भी दोस्त के मजबूर करने पर
सब कुछ कर गुजर जाना,
दोस्त नींद में हो तो भी उसे अपना दुखड़ा सुनाना,
कई बार बस परेशान करने के लिए
दोस्त को फोन लगाना और काट कर अनजान बन जाना,
शायद ,
अनलिमिटेड पैक भी
दोस्तों से बतियाने ने लिए ही आया होगा,
इंस्टाग्राम भी दोस्तों को
फोटोस में टैग करने के लिए बनाया होगा।
अपने दोस्त के लिए सभी ने
कहीं न कहीं कचरा करवाया होगा,
पर कभी ना कभी
हर किसी ने स्वयं जैसा दोस्त पाया होगा ।
प्रज्ञा,
डेडीकेटेड टू जीपीएस।