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Pradip e More

Romance

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दोस्त

दोस्त

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मैं रूठूं तो मनाने तू आए ,

मेरी शामें बनाने तू आए ! 

पड़ जाऊं मंद गर मैं कभी , 

मेरी रफ्तार बढ़ाने तू आए ! 

उदास कर दे गर ये ज़िंदगी कभी ,

मुझे फिर से हँसाने तू आए ! 

उजाड़ दे गर मेरा आशियां कोई , 

मुझे फिर से बसाने तू आए ! 

बिछड़ जाऊं गर मैं खुद से कभी , 

मुझे मुझसे मिलाने तू आए ! !


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