मैं रूठूं तो मनाने तू आए , मेरी शामें बनाने तू आए मैं रूठूं तो मनाने तू आए , मेरी शामें बनाने तू आए
बिना कुछ बोले काफ़ी कुछ कह गए, नज़रों ही नज़रों में एक दूसरे के रह गए। बिना कुछ बोले काफ़ी कुछ कह गए, नज़रों ही नज़रों में एक दूसरे के रह गए।