दोहावली:- राम हमारे पितामह
दोहावली:- राम हमारे पितामह
प्रगतिशील होते नहीं ,अन्याई के साथ।
आडंबर इसको कहें, जोड़ो इनके हाथ।1।
वर्ष पांंच सौ तक रहे, जो मंदिर हथियाय।
वही न्याय को कह रहे, अब भारी अन्याय।2।।
होता पहले देश है, फिर आता हैै धर्म।
श्री कृष्ण हैंं सिखाते , गीता में यह मर्म।3
याददाश्त मुझको लगे, इनकी कुछ कमजोर।
पढ़े नहीं इतिहास हैंं, चोर मचातेे शोर।4।
दूर देश मंगोलिया, ना जानो भूगोल ।
बाबर आया वहांं से, आततायी मंगोल।5।
लूटा भारत देश को ,किया नष्ट अरु भ्रष्ट।
क्या उसने अच्छा किया, गौरवमय उत्कृष्ट।6।
संस्कृति अपमिश्रित हुई ,हुआ अति क्रमण घोर।
अवधपुरी भी अति क्रमित, मंदिर परिसर चोर।7।
मंदिर मस्जिद बनाता, सैनिक मुगल पठान।
पन्द्रह सौ अठ्ठठ
ाइस में, बाबर का फरमान।8।
हिंदू मुस्लिम यहां पर, नहीं कोय मतभेद।
गलती जो इतिहास की, सुधर रही क्यों खेद।9।
मुस्लिम जो रहते यहां ,उनसेे कहां विभेद।
रक्त कणों का परीक्षण, नहींं बताता भेद।10।
आतताई का कृत्य जो, खड़ा किया उद्वेग।
न्याय व्यवस्था कर रही, ध्वस्त वही संवेग।11।
न्याय व्यवस्था का नहीं ,यहांं धर्म आधार।
संदर्भों अरु साक्ष्य से, चले न्याय दरबार।12।
राम लला की भूमि पर, क्यों कर यह उत्पात।
होता सदा विरोध यह, राजनीति आधात।13।
जनता इससे दूर रह, करती है विश्वास।
न्यायालय की व्यवस्था, से बनती है आस।14।
बँटवारा होता सदा, पूर्वज की संपत्ति।
राम हमारे पितामह, बाबर देश विपत्ति।15।