दिवाली
दिवाली
दिवाली निराली सभी की बनेगी ।
नई ज्योति प्यारी दिलों में जलेगी।
महा ज्योति वो है अँधेरा दिलों का।
मिटाती सदा ही घरों से नरों का ।।१।।
उजाला सजेगा अनोखा मही पे।
नया नेह होगा हमारी जमीं पे।
अहिंसा सभी का नया धर्म होगा।
खुशी को बढ़ाना महा कर्म होगा।।२।।
मिठाई घुलेगी जुबाँ में सभी की।
हरेगी सदा ही व्यथा को सभी की।
न धोखा मिलेगा किसी को कभी भी।
दिलों में निराली दिखेगी दया भी ।।३।।
स्वरों में हमारे नया राग होगा ।
इन्हीं को सुनाने दिया साज होगा।
उठाओ पगों को महारास होगा।
बहेंगी उमंगे सदा हास होगा।।४।।