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Anant Katyayni

Classics

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Anant Katyayni

Classics

दिल्ली की सर्दी

दिल्ली की सर्दी

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अजीब कशमकश है ये दिल्ली की सर्द भी

ठण्डे दिल और आबोहवा, पर माहौल गर्म भी

पथरा चुके इन दिलों में कुछ गर्माहट जगाने को

ऐ धूप, तू होती तो अच्छा होता


सियासतदानों के सस्ते फुसलावे में

लड़ रहे वतनपरस्त दोस्त मेरे सब

बदजुबानी की छांव से इन्हें बाहर लाने को

ऐ धूप, तू होती तो अच्छा होता


जाहिलियत के अंधेरे मौहल्लों में

हिंदू मुसलमान की तंग गलियों से

एक अदद इंसान ढूंढ पाने को

ऐ धूप, तू होती तो अच्छा होता


हड्डियां गलाने वाली रात के बाद

सुर्ख गुलाबी सूरज के दीदार में

एक अदरक चाय का प्याला पिलाने को

ऐ धूप, तू होती तो अच्छा होता।


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