STORYMIRROR

AJAY AMITABH SUMAN

Tragedy

2  

AJAY AMITABH SUMAN

Tragedy

दिल्ली, एन. सी.आर.में

दिल्ली, एन. सी.आर.में

2 mins
158

क्या रखा है रोज की कीच कीच, झगड़ा और तकरार में,

आ जाओ कुछ दिवस बिता लो, दिल्ली , एन.सी.आर.में।


माँ बाप के पैसों पर जो, यूँ हीं मौज उड़ाते हो,

कोका कोला पिला पिला, जिह्वा को सुख दिलाते हो,

खरचाने का सुख इतना ना, होगा और संसार में,

आ जाओ कुछ दिवस बिता लो, दिल्ली , एन.सी.आर.में।


लिवर , किडनी के तुम दुश्मन, जिगरा रोज गलाते हो,

खाँस खाँस खाँसी से यारी, तुम जो रोज निभाते हो।

पापा के अरमानों का, चर्चा ना तेरे आचार में,

आ जाओ कुछ दिवस बिता लो, दिल्ली , एन.सी.आर.में।


मरने का जो प्लान बनाते, बीड़ी खूब जलाते हो,

खैनी , गुटका संगी साथी, मदिरा से भरमाते हो,

त्यागो लघु विष में क्या रखा, क्या सिगरेट, सिगार में,

आ जाओ कुछ दिवस बिता लो, दिल्ली , एन.सी.आर.में।


आ जाओ दिल्ली में प्यारे, धूम धड़ाका खूब मिलेगा,

कानों के पर्दे फट जाएँगे, सीने में अगन खूब फलेगा,

नरक लोक से प्रेम जो तुझको, इह लोक संसार में,

आ जाओ कुछ दिवस बिता लो, दिल्ली , एन.सी.आर.में।


पैसे जो कुछ बचे हुए हैं, क्षण भर में उड़ जायेंगे,

मेडिसिन का बाजार बढ़ेगा, डॉक्टर हलुसित गाएंगे,

चैन वैन सब बिक जाएगा, इस दिल के व्यापार में,

आ जाओ कुछ दिवस बिता लो, दिल्ली , एन.सी.आर.में।


धुएँ के काले बादल, अक्सर छाए हीं रहते हैं,

मैगी वैगी पिजा वीजा, उदर क्षोभ कर बसते हैं,

डेंगू वेंगु, दम्मा वम्मा, मिल जाएंगे उपहार में,

आ जाओ कुछ दिवस बिता लो, दिल्ली , एन.सी.आर.में।


क्या रखा है रोज की कीच कीच, झगड़ा और तकरार में,

आ जाओ कुछ दिवस बिता लो, दिल्ली , एन.सी.आर.मे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy