दिल या दिमाग
दिल या दिमाग
दिल के दौरे अब ज्यादा पड़ने लगे
दिमाग की जगह जो हम इस्तेमाल करने लगे।
दिल लगाने के लिए ही दिल काफी था
जिंदगी के फैसलों में क्यों उसे पड़ना था।
अब रोज उसकी पिटाई होने लगी
चारों ओर मायूसी छाने लगी।
दिमाग का फैसला सही या गलत होगा
सामने वाला ही ज्यादा चोट खायेगा।
दिल की सोच के आगे भावनाओं का परदा होता है
दिमाग से सोचा मंजर साफ होता है।
दिल वाले कभी बदल ना पाएंगे
बार बार सिर्फ मार ही खायेंगे।
पल भर के लिए अच्छा बन क्या मिला
आगे तो सिर्फ गिला और शिकवा।
दिमाग की सोच भले ही स्वार्थी कहलाए
दिल के साथ कौन गम बटाए।
दिल और दिमाग कभी साथ न चल पाएगा
दिल हमेशा घायल और दिमाग मुस्कुराएगा।