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vinod Singh Gurjar

Romance

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vinod Singh Gurjar

Romance

दिल तुझे पुकारता है क्यों

दिल तुझे पुकारता है क्यों

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प्रेम की गली में ये उदारता है क्यों ?

बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों ?


तू नहीं तो तेरा एहसास है मुझे,

ऐसा लगे जैसे आस-पास है मुझे २

तेरे-मेरे चित्र नयन, उतारता है क्यों ?

बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों ?


सच मानिए जब से आप मिल गए।

मन मधुबन में कई पुष्प खिल गए-२

अंग-अंग दीप अब उजारता है क्यों ?

बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों ?


मीरा श्याम रंग में दीवानी हो गई।

भक्ति अनुराग की कहानी हो गई-२

गरल में सुधा, नेह उतारता है क्यों ?

बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों ?


राधा व्याकुल हुई घनश्याम आ गए

शबरी के जूठे बेर राम खा गए २

ईश्वर भी प्रेम बस हारता है क्यों ?

बार-बार दिल तुझे पुकारता है क्यों?



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