दिल -रोए
दिल -रोए
तेरे इश्क का यह आलम है, दिल रोता है आँख न रोए।
तुमने तो सबको है जगाया, हम जागे, तो खुद गए सोए ।।
यादों में तुम्हारी वह मुस्कुराहट, याद आए तो दिल यह रोए।
हमने तो सिर्फ काँटे ही बोये, तुमने तो सबको पुष्प बिछाए।।
विरह की पीड़ा में जलता यह दिल है, ना जाने कितने सपने संजोए।
मैं तो निर्मोही ठहरा, तुम-सम वात्सल्य रूप ना कोय।।
बेबसी भरा दिल है मेरा, क्यों फिर यह तुम पर ना रोए।
मजनू गर न मिल सका लैला से, प्रेम आसक्ति में हम रोए।।
दोनों तरफ एक आग सी लगी है ,कैसे तुमसे मिलन अब होए।
इश्क की माला लिए फिरता हूँ, ना जाने कब दर्शन हुए।।
हृदय चीर दिखला नहीं सकता, इतनी श्रद्धा मुझ में ना होए।
राज की बात सिर्फ तुम ही जानो, तुम सम दूजा मेरा ना कोए।।
दाग जुदाई का अब सह न पाता, दामन फैला तुमसे ही रोए ।
अब तो सूख गए "नीरज" के आँसू ,छोड़ दिया सब, जो कछु होए।।