दिल पूछता है मेरा...
दिल पूछता है मेरा...
दिल पूछता है मेरा
दोस्त कहाँ जा रहे हो?
ज़रा नजर तो करो
सामने कब्र दिख रही है।
ना लेन-देन संभलता
ना त्यौहार संभलता है,
दिवाली हो या होली सभी
कार्यालय में मनाए जाते है।
यह तो ठीक था लेकिन हद तब होती है
जब शादी का कार्ड देने ही
गाँव में जाया जाता है।
दिल पूछता है मेरा
दोस्त कहाँ जा रहे हो?
पांच अंक का पगार है,
लेकिन खुद के लिए पांच
मिनट भी नहीं।
पत्नी का फोन 2 मिनट में
कट कर दिया जाता है
लेकिन ग्राहक का फोन कहाँ कट किया जाता है।
फोनबुक भरी है दोस्तों से
पर एक के भी घर कहाँ जाया जाता है।
अब घर के त्योहार भी
हाफ डे में ही मनाए जाते हैं।
दिल पूछता है मेरा
दोस्त कहाँ जा रहे हो?
किस को खबर नहीं
ये रास्ता कहाँ जाता है।
थके हुए हैं सभी लेकिन फिर भी चलते रहते हैं।
किसी को रूपये तो
किसी को सामने डॉलर दिखाई दे रहें है।
आप ही कहो दोस्त क्या यही जिंदगी है।
दिल पूछता है मेरा
दोस्त कहाँ जा रहे हो?
बदलते इस प्रवाह में हमारे संस्कार धुल रहें है।
आने वाली पीढ़ी पूछ रही संस्कृति क्या है।
एक बार तो दिल की सुनो, मन तो हर रोज़ मरता है।
चलो जल्दी तय करें मुझे अभी
कुछ समय बाकी नजर आ रहा है।
दिल पूछता है मेरा
दोस्त कहाँ जा रहे हो?
ज़रा नजर तो करो सामने
कब्र दिख रही है।