दिल पे किसका ज़ोर
दिल पे किसका ज़ोर
दिल पे किसका ज़ोर चलता है,
ये हमें तो कागज़ी बातें लगती।
अब ना लैला-मजनूं जैसे यहाँ,
धोखा बेवफ़ाई और दग़ा यहाँ।
नज़र न आता हमें सच्चा प्यार,
हर बार प्यार में मिला दग़ा यार।
कहते हैं कि प्यार किया न जाए,
अपने आप ख़ुद ही तो हो जाए।
धन-दौलत एशो-आराम शोहरत,
इसके लिए ज़्यादातर लाभ चाहे।
दिल मासूम नादान बेचारा हमारा,
खिलौना समझ के खेलते हैं जाएं।
