दिल की सरिता
दिल की सरिता
मेरे दिल की सरिता
दुर्गम प्यार जिसका
पा न सके हम जिसे
मगर लिखते साथ हैं !
दिल से चाहते हैं
हम आज भी एक दूजे को
मुहब्बत झलकती है शायरी से
अदा दुनिया समझे ना जिसे..!
कोई शिक़वा भी नहीं अब
दोष क़िस्मत का देते हैं हम
वक़्त अपना हुआ नहीं जो
मगर साथ आज भी देता है वह !