दिल की किताब
दिल की किताब
दिल की किताब तेरी पढ़ लूँ तो क्या होगा
बिन कहे बात तेरी जान लूँ तो क्या होगा
जितना चाहो छिपा लो छिपा ना सकोगे
भाषा तेरी आंखो समझ लूँ तो क्या होगा।
तू मेरे सामने रहे न रहे तुझे पहचान लूँगा
हवाओ गंध तेरी मै सूंघ लूँ तो क्या होगा
तू गम सहे मुझे मालूम न हो नामुमकिन
गम सारे तेरे अगर छिन लूँ तो क्या होगा।
कुछ कहे न कहे राज फिजाँ बता देगी
तेरे लब्ज जुबां बयां कर लूँ तो क्या होगा
दो जिस्म समझने की भूल हमे न करना
तू मुझमे मै तुझमे समां लूँ तो क्या होगा।
जुदा होना चाहे जुदा हो ना पाएगा मुझसे
तेरी तन्हाई तेरे रूबरू हो लूँ तो क्या होगा
जाना है जहा छोड़ मुझे जाकर देख लो
तुझे बाहों आगोश खींच लूँ तो क्या होगा।
मेरे बेगैर तू नहीं मेरे बिना तू नही मान लो
तुझे मेरे दिल आंखों में बसा लूँ तो क्या होगा।