दिल की बात
दिल की बात
मैं लिख रही हूं,
अपने दिल के एहसासों को शब्दों में बदल रही हूं,
मैं लिख रही हूँ
वह एहसास ही क्या जिसे तुम बयां ना कर सको,
वह अल्फाज ही क्या जिन्हें तुम लिख ना सको,
जिस तरह हर अल्फाज में एक एहसास छुपा होता है,
उसी तरह हर एहसास कुछ लफ़्ज़ों से ही तो बयां किया जाता है,
तो बस -
मैं लिख रही हूं,
अपने अल्फाजों को मतलब दे रही हूं,
और उम्मीद कर रही हूं कि यह किसी के दिल को छू जाए ,
और मेरे लफ़्ज़ों को मतलब दे जाए,
मेरे लफ़्ज़ों को मतलब दे जाए,
इसलिए मैं लिख रही हूं,
अपने दिल के एहसासों को शब्दों में बदल रही हूं,
मैं लिख रही हूं,
मैं लिख रही हूं।