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Sumit. Malhotra

Abstract

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Sumit. Malhotra

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दिल का आ जाना।

दिल का आ जाना।

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ये दिल बेचारा है मासूम नादान,

नहीं जानता कब क्या कर जाए।


सुंदर सुशील मृगनयनी गुणवान,

नारी पर कभी-भी यह आ जाता।


गुनाह तो हमेशा हमारी आँखें करें,

ये दिल खामखाँ ही तो फंस जाएं।


जिसको कहती हैं दुनिया शादी ही,

हकीक़त में सोने की हथकड़ी तो है।


दुश्मनों से भी हम कभी-कभार बचें,

गद्दार यार बेवफ़ा प्यार से कैसे बचें।


दिल का आ जाना लाजिमी तो है ही,

उम्र का फर्क नहीं दिल जवां चाहिए।


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