दिल ही दिल में
दिल ही दिल में
दिल ही दिल में तुमको प्यार करते हैं,
सुबह दोपहर शाम रात याद करते हैं।
चुपके-चुपके हम तुमसे प्यार करते हैं,
दुल्हन बनाने का ख़्वाब रोज़ देखते हैं।
पा सकते क़िस्मत में नहीं ये जानते हैं,
फ़िर भी तुमसे बेतहाशा प्यार करते हैं।
दिल ही दिल में चुपचाप रोया करते हैं,
रोज़ खुदा से तुम्हें ही तो माँगा करते हैं।
सुना आप चेहरा पढ़ सब जान जाते हैं,
प्यार ज़रूरतों से ही न दिल से करते हैं।
लगे दुनिया से डर नजरअंदाज़ करते है,
दिल ही दिल में बहुत वो प्यार करते हैं।