दिल -ए -नादान
दिल -ए -नादान
ए दिल-ए-नादान
कितने अरमान और
वो जरूर मिलेंगे तुझसे
जो बंधी है दिल की डोर
कब तक इंतज़ार
इतना गहरा
कब तक यूं राह ताकना
लगाकर आंखो का पहरा
राहों में उनकी
पलके बिछाना
दिल में बेइंतहा खयाल
जिनका ना हो कोई छोर
सीने से निकलकर
अब आंखों में
धड़क रहा है दिल
अब कितना इंतज़ार
किया जाए और
ए दिल ए नादान
कितने अरमान और।

