STORYMIRROR

Nisha Kale

Romance

4  

Nisha Kale

Romance

दिल -ए -नादान

दिल -ए -नादान

1 min
483

ए दिल-ए-नादान

कितने अरमान और

वो जरूर मिलेंगे तुझसे

जो बंधी है दिल की डोर

कब तक इंतज़ार

इतना गहरा

कब तक यूं राह ताकना

लगाकर आंखो का पहरा

राहों में उनकी

पलके बिछाना

दिल में बेइंतहा खयाल

जिनका ना हो कोई छोर

सीने से निकलकर

अब आंखों में

धड़क रहा है दिल

अब कितना इंतज़ार

किया जाए और

ए दिल ए नादान

कितने अरमान और।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance