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डॉ दीप्ति गौड़ दीप

Abstract

5.0  

डॉ दीप्ति गौड़ दीप

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दिल दुखाया करते हैं

दिल दुखाया करते हैं

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जिंदगी में ऐसे भी मोड़ आया करते हैं

दिल लगाने वाले ही दिल दुखाया करते हैं।


गर्दिशों के मारों से कौन बात करता है

दोस्त भी मुसीबत में मुस्कुराया करते हैं।


मशविरा तो दे देना पर मदद मत करना

लोग एहसानों को भूल जाया करते हैं।


हम किसी से दुनिया में दुश्मनी नहीं रखते

लोग जाने क्यों हमको आज़माया करते हैं।


‘दीप’ कौन समझाए बेशऊर लोगों को,

बेवजह की बातों में वक्त जाया करते हैं।


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