ध्वांतचर ! कोरोना
ध्वांतचर ! कोरोना
हे दानव! कोरोना,
अदृश्य रहकर तू
करता है हम पर वार,
नहीं देख पाते
हम तेरा प्रहार,
कायरों की भांति
अपने आप को छिपा कर
विश्वभर में
तू कर रहा है नरसंहार,
बड़े-बड़े साम्राज्यों ने
मान ली होगी तुझ से हार,
पर है राक्षस करोना
भारत तूझ से
कमरकस कर
है लड़ने को तैयार,
इस बार न नारायण का
सुदर्शन चक्र चलेगा
न गोवर्धन पर्वत हिलेगा
न महिषासुरमर्दिनि का
त्रिशूल चलेगा
हे कोरोणासुर!
केवल हाथ धोने से ही
तू मिट्टी में मिलेगा,
जानते हैं हम
है तुझमें
मायावी शक्तियां अपार
हे दैत्य!
हमारे पास भी है
दिव्यास्त्रों का भंडार,
पर घर में रहकर ही
हम करेंगे तुझ पर वार
जब नहीं करेगा कोई
घर की
लक्ष्मण रेखा पार,
तो तू हो जाएगा
बेबस और लाचार,
द्रुतगति से विचरण करने की
तेरी शक्ति
हो जाएगी बेकर,
न कर पाएगा तू
संक्रमण का कुटिल व्यवहार,
माननी होगी
हिंदुस्तानियों से
तुझे हार ।
होना होगा तुझे
हिंदुस्तान से तड़ीपार
देने तुझे शिकस्त
हम भारतवासी
है कमर कसकर तैयार।