धुरंधरों की सौगात
धुरंधरों की सौगात
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क्रिकेट मैच इतना शानदार होता है
अब जा के ये पता चला हमें
कविता लिखने के बहाने
पूरा मैच इस बार देखा मैंने
वरना हर बार घर के कामों मे लगे रहते थे
कुछ काम न हो तो
मोबाइल से ही टाइम पास कर लेते थे।
इस बार जल्दी ही सारे काम खत्म किये
घर वालों के साथ -साथ हम भी
टीवी के आगे बैठ गए
हमनें देखा जैसे
स्टेडियम मे लगा हो झंडों का मेला
हर किसी के रूप,रंग और
कपड़ों मे तिरंगे का बसेरा
चारो तरफ़ प्रशंसकों से
खचाखच भरा स्टेडियम
उस पर राष्टगान का स्वर सुनहरा
खिलाड़ियों को देख कर दिल में उठा रोमांच
उनके बुलंद हौसलों को देख कर
मन मे उठा रोमांस
कभी टुक -टुक कभी एक -दो रन तो
कभी चौके - छक्के की लगी लड़ी
उसके ऊपर दर्शकों के चेहरे पे
भिन्न-भिन्न भावों की लगी झड़ी।
क्या क्रिकेट मैच मे उतार -चढ़ाव था
कभी धड़कनो का बढ़ना तो
कभी धड़कनों का थमना
चल रहा यही कारवाह था
जैसी बॉल वैसा रन
साथ -साथ मैं हम सब का
ज़ोर -ज़ोर से चिल्लाना
मस्त मौसम ,मस्त नजारे अपने
फ़ेवरीट क्रिकेटर को हम भी जी भर निहारें
दोनों टीमों में टकराव जबरदस्त था
ओहे -ओहे उस पे जब इंडिया जीती तो क्या बताये
हम सब घरवालों का झूम के नाचना मस्त था
पटाखों का शोर चारों तरफ़ था
क्रिकेट मैच को देखने का आनंद
सबके चेहरों मैं साफ़-साफ़ झलक रहा था
एक सुकून था एक ताज़गी थी
अपने झंडे को लहराता देख दिल मे जवाँ रवांगी थी
जय हिंद