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Mithilesh Tiwari "maithili"

Inspirational

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Mithilesh Tiwari "maithili"

Inspirational

धुंध

धुंध

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सदियाँं बदली युग बदले ।

बदल गए जीवन के मायने ।।

पर बदल ना पाई रे नारी तू ।

अपने जीने के पैमाने ।।

है आज भी तू वही ।

सदियों की अग्नि परिक्षिता ।।

है आज भी तू वही ।

मर्माहित शोषित दलित सभीता ।।

है बुलंदियों पर ।

जब यह नया जमाना ।।

पहनाया जा रहा तुझे ।

रुढिगत वही पुराना जामा ।।

अस्तित्व तेरा क्या है ।

अभिज्ञान न हो पाया ।।

किस सत्ता के पीछे चलती है ।

तू अदर्शन सी छाया ।।

आकार नहीं तेरा ।

क्या कोई स्वयंभू ।।

लाँघ सके जो जड़ता परिधि ।

करे निजता का बिंब अंकित ।।

होगा पूर्वाकार भले ही धुंधला ।

मगर वक्त कर देगा इसे उजला ।।

धुंध के उस पार ।

बनेगा जो आकार ।।

भरे होंगे उसमें जीवन के रंग हजार ।

होगा जहाँ नतमस्तक सहस्त्र बार ।।

यह नन्हा आशादीप ।

लाएगा चांदनी धूप ।।

घबरा न तू अकेलेपन से ।

हट न तू लघुपन से ।।

एक दिन यही लघुता ।

बन जाएगी गुरुता ।।

फिर सच लगेगा यही ।

पर नजरों में भी सही ।।

कि आशा में जीना ।

आशा में मरना ।।

ही है सार्थक जीवटता ।

समाई हो जिसमें सच्ची कर्मठता ।।

अस्तित्व हीन नहीं ये जीवन ।

सौरभ विहींन नहीं ये उपवन ।।

बस कुछ बीजों का करना है रोपण ।

और चंद खुशियों का अर्पण ।।

छटेगा फिर 'धुंध' का अंधेरा ।

होगा जहां नए मूल्यों का बसेरा ।।

मुस्काती किरणों का सवेरा ।

और वसुधैव कुटुंबकम का डेरा ।।


          

    


  



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