धरती और पर्यावरण
धरती और पर्यावरण
नीला आकाश, घने जंगल ,
मंद मंद चलती ये हवाएँ ,
शाम, सवेरे गुंज उठे ,
पंछियों के कलरव ,
वसन्त के बहार,
सावन का फुहार,
तन, मन शिहराए शीत लहर,
धरती का शृंगार है, ये पर्यावरण ।
करे रक्षा हमारी,
शुद्ध वायू, शुद्ध परिवेश ,
धरती पे हरियाली छाए ,
हँसते हैं बगियाँ , रंग, बिरंगी फूलों से ,
नदियाँ , झरने गीत सुनाए ,
हरे भरे पेड़ , पौधे पर्यावरण का सदा साथ निभाए ।
जंगल ना रहे, पेड़ ना रहे,
कांक्रीट का जंगल इन्सान बनाए,
प्रदूषित वायू , धूम से भरा नभ,
प्रदूषित ये वातावरण,
धुआँ धुआँ सा हो गया ये जीवन ,
जागो हे मानव, अब तो जागो ,
निज परिवेश का रखो ध्यान,
करो रक्षा पेड का, शुद्ध करो वातावरण,
प्रदूषण बिहीन होगा पर्यावरण ,
करो एक सुन्दर, खुशहाल संसार का निर्माण ।