धर्म निरपेक्षता की मिसाल
धर्म निरपेक्षता की मिसाल
अत्याचार, अन्याय था फैला चहुँ ओर
पनप रहा था आक्रोश जन जन के मन में
भय का आतंक था पसरा जन जन में
सूरज डूब रहा था सनातन धरम का
नज़र लगी कश्मीर को अधम बादशाह की
ढाया ज़ुल्म पंडितों पर, किया विवश धर्मान्तरण को
त्रस्त ज़ुल्म से हो वे, आये शरण गुरु की
त्रस्त ज़ुल्म से हो वे, आये शरण गुरु की
जन्मे वे अमृतसर में, गुरु हरगोबिन्द के सुत रूप
अनुपम, अद्वितीय वीर था सुत त्यागमल
नाम दिया तेग बहादुर,पिता ने देख बहादुरी
चले मारग गुरु नानक के, किया ना भेद भाव कभी
किया विरोध अंधविश्वास, रूढियों और पाखंड का
फैलाया प्रकाश आध्यात्मिकता का चहुँ ओर
फैलाया प्रकाश आध्यात्मिकता का चहुँ ओर
जली एक ज्योत तम की अंधेरी रात में
सर्वधर्म पताका फहराई, कटाया शीश, झुका नहीं
गुरु तेग बहादुर बने उद्धारक, क्रांतिकारी महामानव
मिले न मिसाल, इतिहास में कोई
पर धरम रक्षा के लिए बलि दी हो किसीने
पर धरम रक्षा के लिए बलि दी हो किसीने
सत्य, शाश्वत मूल्यों के रक्षक, तपस्या की मूरत थे वे
सांस्कृतिक धरोहर के पालक, वैराग्य की प्रतिमा थे वे
त्याग की प्रतिमूर्ति, शस्त्र, शास्त्र के ज्ञाता थे वे
मानवीय मूल्यों के रक्षक, योद्धा विचारक कवि थे वे
धर्म निरपेक्षता की एकमात्र पहचान हैं वे
धर्म निरपेक्षता की एकमात्र पहचान हैं वे
क्या नहीं यह कलंक भारत माता पर
धर्म संरक्षक को न मिला स्थान इतिहास में
हिन्द की चादर हुए कुर्बान हिंदूत्व के वास्ते
गौरवशाली अमिट अध्याय है इतिहास का ये
न लिखा, न पढा गया जिसे कभी
न लिखा, न पढा गया जिसे कभी।