धैर्यपूर्वक
धैर्यपूर्वक
धैर्यपूर्वक
सकारात्मक सोच लिए
बीते कई वर्षों से
सोचता चला जा रहा हूँ
की आने वाला वर्ष
अच्छा होगा
मेरे लिए,
नए अवसर के द्वार खुलेंगे
मैं नौकरी और जिंदगी के
इम्तेहान में पास हो जाऊँगा
मैं भी नौकरी करूँगा
घर से ऑफिस जाऊँगा
ऑफिस से घर को आऊँगा
दिन भर काम करूँगा
रात को परिवार संग आराम करूँगा
पिताजी के कंधो से बोझ कम करूँगा
माँ के पैरों को आराम दूँगा
अपने पास भी अपना पैसा होगा,
जो कुछ सोचा है
जो भी सपने देखे हैं
उन सभी को धीरे-धीरे पूरा करूँगा
जिन्दगी को अपने तरीके से जीऊँगा
पर साल-दर-साल
यूँ हीं बीतता जाता है
लगातार मिल रहे असफलताओं
के कारण मन टूटता जाता है
मन कहता है की
मैं वर्ष से हार मान जाऊँ
पर दिल कहता है की
क्यूँ न वर्ष से एक बार और टकराऊँ ?
एक बार फिर
मैं वर्ष से टकरा रहा हूँ
और इस बार मैं
अपनी आँखों में जीत देख रहा हूँ |
