STORYMIRROR

VIVEK ROUSHAN

Inspirational

4  

VIVEK ROUSHAN

Inspirational

धैर्यपूर्वक

धैर्यपूर्वक

1 min
88

धैर्यपूर्वक 

सकारात्मक सोच लिए 

बीते कई वर्षों से 

सोचता चला जा रहा हूँ 

की आने वाला वर्ष 

अच्छा होगा 

मेरे लिए, 

नए अवसर के द्वार खुलेंगे 

मैं नौकरी और जिंदगी के 

इम्तेहान में पास हो जाऊँगा

मैं भी नौकरी करूँगा 

घर से ऑफिस जाऊँगा 

ऑफिस से घर को आऊँगा

दिन भर काम करूँगा 

रात को परिवार संग आराम करूँगा 

पिताजी के कंधो से बोझ कम करूँगा 

माँ के पैरों को आराम दूँगा

अपने पास भी अपना पैसा होगा,

जो कुछ सोचा है 

जो भी सपने देखे हैं 

उन सभी को धीरे-धीरे पूरा करूँगा 

जिन्दगी को अपने तरीके से जीऊँगा

पर साल-दर-साल 

यूँ हीं बीतता जाता है 

लगातार मिल रहे असफलताओं 

के कारण मन टूटता जाता है 

मन कहता है की 

मैं वर्ष से हार मान जाऊँ

पर दिल कहता है की 

क्यूँ न वर्ष से एक बार और टकराऊँ ?

एक बार फिर 

मैं वर्ष से टकरा रहा हूँ 

और इस बार मैं 

अपनी आँखों में जीत देख रहा हूँ |


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational