देवी देवताओं का आशीर्वाद
देवी देवताओं का आशीर्वाद
प्रयास कोई करके देखे, मैं कभी ना मानूँ हार
मिटना है स्वीकार मुझे, लुटाकर सब पर प्यार
दर्द अनेकों सहकर भी, सदा मुस्कुराती जाऊं
इसीलिए सहनशीलता की, मूरत मैं कहलाऊं
मूर्ख मुझे ना समझो तुम, मैं हूँ पूरी समझदार
अपना कर्तव्य निभाऊं, बनकर पूरी ईमानदार
जीवन मैं गुजारूं, ओढ़कर मर्यादा की चादर
निर्वस्त्र करके मुझे, तू करता मेरा ही निरादर
कितना तू अशिष्ट पुरुष, देख ले अपने भीतर
हुआ पड़ा है चरित्र तुम्हारा, पूरा छित्तर बित्तर
औरत का शोषण करने से, कभी ना तू डरता
मन्दिर में देवी की फिर, पूजा काहे को करता
तेरी अशुद्ध इच्छा, पाप की खाई में गिराएगी
तेरे शुद्ध चरित्र पर, कलंक का दाग लगाएगी
तेरा पतित कर्म लौटकर, तेरे सम्मुख आएगा
तेरी बहन बेटी पर कोई, पतित दृष्टि गड़ाएगा
उनका ये कौतुक तेरे, रक्त को खूब जलाएगा
किन्तु उन्हें रोक पाने में, तू अक्षम हो जाएगा
नहीं भोग की वस्तु नारी, स्वयं को तू मना ले
हर नारी के प्रति तू अपनी, दृष्टि शुद्ध बना ले
नारी के प्रति हृदय में, जब सम्मान जगाएगा
सभी देवी देवताओं का, आशीर्वाद तू पाएगा।
