देशगीत
देशगीत
नौजवानों सुनो देश के गौर से
गूंजता है ये धरती गगन शोर से ।
इस तिरंगे की खातिर हैं लाखों मरे
अपना सर्वस्व दे दो तुम्हें कह रहे।
हिन्दू मुस्लिम हो या सिक्ख ईसाई हों
बोलिए जय हिन्द ज़रा ज़ोर से।।
यह जरूरी नहीं है कि लड़ते रहें
एक दूजे से भेदभाव करते रहें।
आप अन्दर के इंसान को ढूंढिए
क्यूं हो उम्मीद करते किसी और से।।
आइए हम मिलकर ये प्रण लें अभी
देश को टूटने ना देंगे कभी ।
जो मुसीबत भी आए तो मिल के रहे
बांधे रखे वतन को हम एक डोर से।।
नौजवानों सुनो देश के गौर से
गूंजता है ये धरती गगन शोर से।