STORYMIRROR

Khushbu Singh

Inspirational

3  

Khushbu Singh

Inspirational

गज़ल

गज़ल

1 min
144

ये हमारा भी घर ये तुम्हारा भी घर

धर्म के नाम पर क्यों हो लड़ते मगर,

जिंदगी तो महज चार दिन की रही

ये हमारा शहर ये तुम्हारा शहर।


देखकर एक नज़र मुस्कुरा दीजिए

सारे शिकवे गिले सब भुला दीजिए,

साथ हम भी चलें साथ तुम भी चलो

एक रहने का कुछ तो सिला दीजिए।


वो समय आ रहा है कि डर जाओगे 

देखकर दर्द दिल का सिहर जाओगे,

आ गई है कोरोना की ऐसी लहर

जी लो ये जिंदगी फिर कहां पाओगे।


हम रहें तुम रहो ये गगन भी रहे

धर्म से धर्म का यह मिलन भी रहे,

क्या पता फिर कभी हम मिले ना मिले

खुशबुओं से भरा यह चमन भी रहे।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational