Chakradhar Thakre
Tragedy
देश में आ गई,
ऐसी परिस्थिती
जब कभी पूरा देश बंद हो ।
पूरी रेल्वे बंद हो,
बस बंद हो,
विमान बंद हो,
ऐसा लगता है
कोरोना बहुत बड़ी
महामारी है
इसलिये विश्व के
पूरे देश बंद है,
हमे कोरोना से सतर्क
रहना है ।
सुरक्षित रहना है ।
देश की परिस्थ...
इच्छाओं का कत्ल कल भी होगा बेटियां पैरों तले और बेटा शीर्ष पर होगा । इच्छाओं का कत्ल कल भी होगा बेटियां पैरों तले और बेटा शीर्ष पर होगा ।
दूसरों के ऊपर कीचड़ उछालने वाले तू भी माटी का ही बना पुतला है, दूसरों के ऊपर कीचड़ उछालने वाले तू भी माटी का ही बना पुतला है,
कलुयुग में सीता और द्रौपदी तो होंगी पर उनकी लाज कौन बचाएगा कलुयुग में सीता और द्रौपदी तो होंगी पर उनकी लाज कौन बचाएगा
कैसी अमिट छाप छोड़ी तूने कि मैं तुझे भूल नही पाता कैसी अमिट छाप छोड़ी तूने कि मैं तुझे भूल नही पाता
धरती माता चीख-चीख कर कई बार है चिल्लाई, धरती माता चीख-चीख कर कई बार है चिल्लाई,
विदेशी शब्दों से जाने कब क्यों, भ्रष्ट हो गई हिन्दी। विदेशी शब्दों से जाने कब क्यों, भ्रष्ट हो गई हिन्दी।
2020 जब अपने मध्य में आया कोरोना ने अपना विकराल रूप दिखाया 2020 जब अपने मध्य में आया कोरोना ने अपना विकराल रूप दिखाया
अब और किसी का सहारा नहीं चाहिये, खुद से ही अब मैं तो बेघर हो चुका हूं अब और किसी का सहारा नहीं चाहिये, खुद से ही अब मैं तो बेघर हो चुका हूं
सुन लेती हूं ऐसे शब्द, जिनको सुन नहीं पाती हूं। सुन लेती हूं ऐसे शब्द, जिनको सुन नहीं पाती हूं।
वो सवालों के जवाब नहीं चाहता था हमे तो बस सवाल सुनना था, वो सवालों के जवाब नहीं चाहता था हमे तो बस सवाल सुनना था,
मत जगाओ, मुझे सोने दो, थोड़ा रोना हैं, रोने दो! मत जगाओ, मुझे सोने दो, थोड़ा रोना हैं, रोने दो!
क्या इज्ज़त है नारी की आज क्यों कोई 'कृष्ण' नहीं बचाता अब 'द्रौपदी' की लाज! क्या इज्ज़त है नारी की आज क्यों कोई 'कृष्ण' नहीं बचाता अब 'द्रौपदी' की लाज...
फ़िक्र क्या बोल कर दिल को झुठलाता हूँ मान भी जाता है वो बहलाने के बाद।। फ़िक्र क्या बोल कर दिल को झुठलाता हूँ मान भी जाता है वो बहलाने के बाद।।
संस्कार की बेड़ियां पैरो में बांध के हर बेटी बैठ जाती है घरो में ! संस्कार की बेड़ियां पैरो में बांध के हर बेटी बैठ जाती है घरो में !
दुनिया एकदम बदल गयी एक महामारी के आने से! दुनिया एकदम बदल गयी एक महामारी के आने से!
दर्द के दफ़न होने की मियाद होती है, ज़्यादा दफ़न होने से शूल चुभते सीने में दर्द के दफ़न होने की मियाद होती है, ज़्यादा दफ़न होने से शूल चुभते सीने में
चुपचाप सह लिया यूँ ही अपना समझकर। चुपचाप सह लिया यूँ ही अपना समझकर।
सहना नहीं अब हमें, विरोध करना है, आगे बढ़ते रहना है। सहना नहीं अब हमें, विरोध करना है, आगे बढ़ते रहना है।
मेरे घ्राणेन्द्रिय को और क्रियाशील कर देती है। मेरे घ्राणेन्द्रिय को और क्रियाशील कर देती है।
आज मैं ताकतवर, घर की रानी हूँ वहीं दोहराती कहानी हूँ आज मैं ताकतवर, घर की रानी हूँ वहीं दोहराती कहानी हूँ