देश के वीर
देश के वीर
पारंगत पर मिला है ये वीर चक्र उनको
ऐसे नही नवाजे हैं, लाल हैं ये भारत के
कोई खौफ नही मन मे न डर का मामला हैं
ये भारत के बंदे सब सब पे फिर आड़े हैं
पराङ्गत पर मिला है ये वीर चक्र उनको
ऐसे नही खिले हैं लाल हैं ये भारत के
रक्षा के खातिर कोई बहाने नही चले हैं
धधकती ज्वालाओ से फिर आ यू निकले हैं
कोई हार नही मंजूूूर चाहे रास्तो में रुकावते हो कितने
कदम पी छे नही हटेंगे चाहे सिर कलम हो फिर से
भारत के वीर हैं हम सबको बता देेंगे
की हम ही हैं वो लाल जिसमे अभिमान है भारत को ।
