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Rakhi T Singh

Tragedy

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Rakhi T Singh

Tragedy

डरा डरा सा मुम्बईकर

डरा डरा सा मुम्बईकर

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थमने वाली मुंबई मेरी 

आज रुकी रुकी सी दिखती है

आतंकी हमला सुनामी

दंगे फसाद थमती जो न है


आज डरा डरा सा मुंबईकर

अपने ही घरों में कैद सा है 

अतिथि इस चीनी करोना का है कहर

हर एक इंसान सहमा सहमा सा है


जीते जी जीवन थम सा गया

गली नुक्कड़ से बचपना दूर भया

भय भीत भी आंखें घबराई सी 

अब अपनी जान बचाते गया


कैसी बड़ी है विपदा आई 

इंसा हाथ मिलाने से कतराता है 

सर्दी जुकाम खांसी आयी

तो दुम दमा के भाग जाता है


इंसा का इंसा से विश्वास हिला 

भीड़भाड़ से भागते मिला

हर चेहरा नकाबपोश मिला

चीनी करोना का वायरस जो आन मिला।


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