डोकलाम में तैनात सैनिक
डोकलाम में तैनात सैनिक


शक्ति के मद में चूर शत्रु को,
पुन: उसको अपनी राह दिखाई।
हिमवन्त सा अडिग-अविचल ,
डोकलाम में अंगद पाँव जमाई।
बार-बार अनर्गल धमकियाँ देते,
सीमा अतिक्रमण करते रहते हो।
अहिंसा के पुजारी हैं हम,
व्यर्थ न मानव रक्त बहाते हैं।
साम्राज्य विस्तार का कु-प्रयास,
पड़ोस धरा को निगलते जाते हो।
मानवता के रक्षक हैं हम,
विश्व-बन्धुत्व सब में जगाते हैं।
मत दिखा इतिहास सन बासठ का,
अभी तो हिसाब चुकानी है।
शक-हूण-मंगोल हमने भगाया,
हम सैनिक हिन्दुस्तानी हैं।
भू-चालो ने हमको पाला,
हम सिंह-शावक तुफानी हैं।
हिन्द-जलधि की उत्ताल तरंगे,
मातृ-भूमि रक्षा उमंग पुरानी है।
शायद भूल गये मेजर शैतान को,
बन्दुक छूट गई-चौकी छोड़कर भागे।
आज भी सुबेदार जोगिन्दर,
सिपाही केवल सिंह की रवानी है।
जिन्दा है धनसिंह थापा,
जांबाज गोरखाओं की पहचान पुरानी है।
अड़े रहेंगे अचल-धवल सा कर्तव्य पर,
उत्सर्ग करेंगे तन-मन-धन जो संस्कार पुरानी है।
मंगल-कामना माँ-बहनों की,
उसकी लाज बचानी है।
कर विफल अरि षड्यंत्र का,
डटे रहेंगे सीमा पर हम सैनिक हिन्दुस्तानी हैं।
माँ भारती कहती है:-
जागो-जागो सिंहो के संतान,
उठा अस्त्र कर शत्रु का संहार
तेरी भुजाओं में है फौलाद,
हृदय में तुफानी सांसे करती वज्र निनाद
तुझ पर मैं वारी जाउँ,
बार-बार मैं हीं तेरी माँ कहलाउँ
जागो-जागो...........
सवा सौ करोड़ की मैं हूँ जननी
पर तू हीं सच्चा सपुत है
बड़े जतन से पाली थी सबको
एक समान मिट्टी-जल-हवा देकर
पर उनमें वो विचार कहाँ रोती है धरणी
पुत होकर भी वे कपुत हैं
जागो-जागो...........
बासठ में निहत्था तू
फिर भी इन्च-इन्च की रक्षा की
तेरी तरकस में आज हर शस्त्र लैस है
तो फिर घबड़ाना किस बात की
स्नेह-रस से तुझे दुलारे
गंगा-यमुना-ब्रह्मपुत्र-महानदी
जागो-जागो.........
तुझे झूलाया अपने आँचल में
कृष्णा-कावेरी-सतलज- ताप्ती
उठो-उठो थार के रण-बांकुरे
इनकी लाज बचानी है
विजयमाल से शोभित-गर्वित
सदैव रहे तेरा उन्नत भाल
हर जन्म में मैं तेरी माता
तू अमृतपुत्र मेरा लाल है
जागो-जागो सिंहो के संतान..........
डटो रहो अपनी सीमा पर
जब सवा सौ कोटी का साथ है
फोड़ दे आँखे,काट दे बाँहे
दुश्मन की यह चाल पुरानी है
भूधर के बर्फानी में लड़नेवाले
कह दो हम सैनिक हिन्दुस्तानी हैं