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दीप्ती ' गार्गी '

Comedy

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दीप्ती ' गार्गी '

Comedy

दामाद जी का स्वागत है

दामाद जी का स्वागत है

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आज हो रहा घर मे हाहाकार

आने वाला है एक खास रिश्तेदार 

जो कर दे सबको बर्बाद 

नाम जिसका है दामाद।


काम काज को लेकर हो रही थी मारमारी 

युद्ध स्तर पर चल रही थी सत्कार की तैयारी।

 करके सारा इन्तज़ाम सबने ली अंगड़ाई

 इतने में दरवाजे पर दहेज वाली

'स्विफ्टडिजायर'पड़ी दिखलाई।

उतरे उसमें दामाद जी...


कुछ ऐसी थी उनकी रूपरेखा जिसे देख हंसी आयी

शुतुर्मर्ग जैसा दामाद और चमगादड़ जैसा उसका भाई

सफेद शर्ट और नीली जीन्स पहने हुये थे जमाई

छांव में भी धूप का चश्मा और रेड

चीफ के जूते से पूरी धाक जमाई


सोने की अंगूठी हाथों में गले में मोटी चेन पड़ी दिखलाई

पैरों में गिरे साले सालियों ने हंसकर नमस्ते बढ़ाई 

और हाथ जोड़कर खड़े थे ससुर और सासू माई 

झांक रहे थे पड़ोसी, दांत निपोरती

लड़कियां छज्जे ऊपर पड़ी दिखलाई।


दामाद जी ने सब पर एहसान भरी निगाह घुमाई 

छोटे भाई ने भी बराबर स्टाइल दिखाइ।

किया निवेदन सब ने तो कदम बढ़ाया 

करके घर में आगमन दोनों ने मुंह बनाया। 


लग गए सब सत्कार में खूब पसीना बहाया 

कोई लाया जाए कोई लाया मिठाई 

कोई खड़ा रहा बनके चौकीदार 

और किसी ने भोजन की व्यवस्था कराई।


खा पीकर दामाद ने लंबी डकार लगाई 

कहा गर्मी बहुत है एसी चला दो भाई

एसी नहीं है जीजू कहकर

साले ने कूलर की स्पीड बढ़ाई।


थक गए अब दामाद जी विश्राम की व्यवस्था

करवाई ना जाने किस बात पर दामाद ने भौं चढ़ाई 

अब इस बात ने सब की परेशानी बढ़ाई 

मन की बात जानने जब उसकी पत्नी आई,


पूछा उसने पति से क्यों मुंह तुमने बनाया है 

क्यों मेरे घर वालों को उलझाया है 

तब मुंह खोला पति ने कहा ऐसे भी कोई करता है

दामाद का इतना फीका स्वागत 

कोई भिखारी भी ना करता है।


न अकल है तुझको ना तेरे मम्मी पापा को

यहां आना भूल मेरी खुद अपनी नाक कटाई है 

ऐसी घटिया चाय बनाई पीकर उल्टी आई है

शुद्ध घी की छोड़ रिफाइंड  की पूडी खिलाई है।


दामाद हूं उनका नाम कोई ऐरा गैरा

बिठाया ऐसे कमरे में जहां हो भूतों का डेरा।

सुनकर उसकी बातें पत्नी को गुस्सा आया 

उसकी ही भाषा में उसको समझाया। 


बोली वो यूं ना थे हमारे हाल 

मांग मांग कर तुमने अपना घर भर लिया

करके मेरी शादी बनाकर तुमको धनवान 

घरवाले हो गए मेरे कंगाल 

और तुम बन गए भिखारी से मालामाल।


एसी बेंच आई अलमारी कंगन बेच के गाड़ी

और बेंच के घर का सामान की तुम्हारी खातिरदारी।

सोचा था घर वालों ने मिलेगा उन्हें दामाद 

जो रखेगा उनकी बेटी को आबाद।


लेकिन उनकी किस्मत गई थी मारी 

दामाद के रूप में मिला रिश्तेदार भिखारी।


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