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Nalini Dwivedi

Tragedy

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Nalini Dwivedi

Tragedy

दाग

दाग

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देखा था मैने उसको..

सड़को पर भीख मागते...

चेहरे को ढक रखा था..

अपनी ओढ़नी से।

एक दिन वह आई मेरे पास...

फैलाया ओढ़नी को...

कुछ पैसे देदो बाबू जी....

मैने पूछा दिखने मे ठीक हो....

फिर करती क्यो हो ये काम....

उसने चेहरे से घूंघट हटाया.... 

चेहरे पर थे भद्दे दाग...

जिसके वजह से घरवालो ने छोड़ा...

और ना दिया किसी ने कोई काम...

काश किसी ने दिया होता उसका साथ...

ना होते उसके एसे हालात ।


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